Thursday, December 30, 2010

मंगरू के टेंसन

मंगरू और पप्पू दुनु जाने बहुते गहरा दोस्त हउवन जा. दिन भर खेलत कुदत साथे रहत बहुत मजा आवत रहे कि पप्पू के पापा जी- "भोला गुरूजी"  जेकी  सरकारी स्कूल के मास्टर जी हउवन - पप्पू के नाम बगल के कान्वेंट स्कूल  me लिखवा देहन . अब मंगरू उही सरकारी स्कूल पर पढ़त हउवन जहा पप्पू के पापा जी पढ़ावत हउवन. आइन्जा देखल जाव की सांझी के बेरा पप्पू आ मंगरू  का बात  चित करत हउवन
मंगरू - का हो पप्पू चला खेलल जाव गुल्ली डंडा बहुत पढ़ लेहल
पप्पू - अरे यार होमेवोर्क करे के बा  का करी ,  बताव बहुते रेट के बाटे ए, बी, सी डी आ वन, टू थ्री फौर
मंगरू - चल हमारा कवनो टेंसन नहि ह, गुरूजी नहि ता होमवर्क  देत  हउवन नाही ता  पढ़ावत  हउवन,
पप्पू - अरे हमरे पापा के अईसे न कह, उत बहुत बढ़िया मास्टर हउवन, हमके ता बहुत बढ़िया से पढावे ला , रात के बैठा के
मंगरू- पढ़ावत होईहे तोहरेके लेकिन हमनी के ता नाहि पढावे लं
पप्पू - देख हमरे पापा के बारे में कुछ मत कह , जनले की नाहि ?
मंगरू - सहिये ता कहत हई
बस पप्पू मिथुन स्टाइल में एक घूंसा मंगरू के मारे और अपना घरे घुस गइलन, फिर का ?
मंगरू के पापा- सोमारू और  पप्पू के पापा भोला गुरूजी कईले जम के झगड़ा
मामला गईल पंचायत के पास :-
ओकर एगो पञ्च आपो हईं ? फैसला करे से पाहिले कुछ  बातन  पर विचार कईल जरुरी बा , त सोची आ हमें लिखीं .
  1. का मंगरू के बात तोहरा के भी सही लागत ह ?
  2. इ बात कहल जरुरी ह कि औरी कुछ करे के जरुरत बा ?
  3. भोला आ सोमारू में  का बात भईल होई ?
अब लिखीं आपन फैसला ...
खाली लिखे से कुछ होखेला का कि कुछ करे के परी . आपने आसपास देख आ लिख , ईसन ना होखे एकरे बड़े कुछ कर आ फिर लिखीं आपन अनुभव के  बात!
इ भईल ना असली कर ज्ञान के बात - इही से होई मंगरू के टेंसन दूर .