मंगरू - का हो पप्पू चला खेलल जाव गुल्ली डंडा बहुत पढ़ लेहल
पप्पू - अरे यार होमेवोर्क करे के बा का करी , बताव बहुते रेट के बाटे ए, बी, सी डी आ वन, टू थ्री फौर
मंगरू - चल हमारा कवनो टेंसन नहि ह, गुरूजी नहि ता होमवर्क देत हउवन नाही ता पढ़ावत हउवन,
पप्पू - अरे हमरे पापा के अईसे न कह, उत बहुत बढ़िया मास्टर हउवन, हमके ता बहुत बढ़िया से पढावे ला , रात के बैठा के
मंगरू- पढ़ावत होईहे तोहरेके लेकिन हमनी के ता नाहि पढावे लं
पप्पू - देख हमरे पापा के बारे में कुछ मत कह , जनले की नाहि ?
मंगरू - सहिये ता कहत हई
बस पप्पू मिथुन स्टाइल में एक घूंसा मंगरू के मारे और अपना घरे घुस गइलन, फिर का ?
मंगरू के पापा- सोमारू और पप्पू के पापा भोला गुरूजी कईले जम के झगड़ा
मामला गईल पंचायत के पास :-
ओकर एगो पञ्च आपो हईं ? फैसला करे से पाहिले कुछ बातन पर विचार कईल जरुरी बा , त सोची आ हमें लिखीं .
- का मंगरू के बात तोहरा के भी सही लागत ह ?
- इ बात कहल जरुरी ह कि औरी कुछ करे के जरुरत बा ?
- भोला आ सोमारू में का बात भईल होई ?
खाली लिखे से कुछ होखेला का कि कुछ करे के परी . आपने आसपास देख आ लिख , ईसन ना होखे एकरे बड़े कुछ कर आ फिर लिखीं आपन अनुभव के बात!
इ भईल ना असली कर ज्ञान के बात - इही से होई मंगरू के टेंसन दूर .