Tuesday, February 1, 2011

ठीक से रहो वरना..... ?
( किसके लिए, किसका और कितना ठीक )

ब्रह्मास्त्र कि तरह प्रयोग होने वाला यह वाक्य हममे से हर एक को कई बार सुनना पड़ता है :-

बच्चों को...
घर में कोई रिश्तेदार आये कि बच्चों कि शामत. बेटे ठीक से रहो. अंकल-आंटी  को नमस्ते करो, ठीक से व्यवहार करो, मेहमानों के सामने हमारी नाक मत कटाओ. पोयम सुनाओ..... ठीक से अंकल और आंटी की बक-बक सुनो.
स्टेशन, बाजार, दुकान  ... ऐसी जगहों पर तो बच्चों को बड़ों के द्वारा इस वाक्य के सिवाय  और कुछ सुनने को ही नहीं मिलता.  

और हमारे स्कूलों में तो यह आम बात  है. ठीक से उठो, ठीक से बैठो, ठीक से बोलो, ठीक से बात करो, ठीक से पढो, ठीक से लिखो,  ठीक से होमवर्क करो, ठीक से याद करो,  अपना सारा काम ठीक से करो ... ! 

शिक्षकों या ऐसे ही अन्य कर्मचारियों-अधिकारियों को ...
 जैसे ही किसी बड़े अधिकारी का मुआईना हो यह वाक्य अपने समय कर प्रचलित एसऍमएस की तरह व्यवहार में आ जाता है.  लगातार ठीक होने की सलाह और चेतावनी दोनों मिलनी शुरू हो जाती है. मुआईनें में सबकुछ ''ठीक'' रहा तो ठीक-ठाक वरना कुछ लोगों को 'ठीक' कर दिया जाता है. 
ऐसी  परिस्थितियों में कोई भी भला किस प्रकार के 'ठीक' होने की प्रेरणा पायेगा ?

ठीक होने की चाह और राह में और भी हैं...  
ठीक होने की यह सलाह और चेतावनी चुनावों के दौरान राजनैतिक लोग भी अपने समर्थकों, नीति-निर्धारकों, विपक्षियों को देते रहते हैं. 
 और ठीक   होने की कितनी प्रेरणा एक दूसरे से पाते हैं, आपको ठीक से दीख ही रहा होगा ? 

देशों के बीच भी यह जुमला चलता रहता है.  लोग एक दूसरे को ठीक करते रहने के सुझाव देते रहते हैं, कोशिश भी करते हैं. ठीक करने की यही कोशिश देशों के बीच युद्ध भी करा देती है. 

ठीक करना या होना चाहत भी है और चेतावनी भी !  पर इतने ठीक के बीच भला कौन नहीं कन्फ्यूज होगा ? जबकि ठीक करने वाला भी न जानता हो कि ठीक क्या है और ठीक होने वाला तो कभी जान ही नहीं पाता कि यह "ठीक" क्या बला है. 

आखिर क्या है "ठीक" ? जिसके पीछे हम सभी पड़े हैं. और जिसके लिए हम सभी को सुनना भी पड़ता है, कई बार झेलना भी ?
इससे भी बढकर है कि किसके लिए क्या और किस समय तक ठीक रहता है ? 

हम  सभी "ठीक" को अपना सकते हैं. बशर्ते कि हमे ठीक (चाहे गए स्वरूप ) का रूप दिखे पर यह तय कौन करेगा ? 

  • क्या बच्चे अपने लिए ठीक तय कर सकते हैं ?
  • और शिक्षक तथा अन्य कर्मचारी अधिकारी  ? 
  • फिर क्रमश: समाज और देश ? 

हम हर एक को 'ठीक'  तय करने में और 'ठीक' होने में किस प्रकार मदद कर सकते हैं ? सबको "ठीक" करने कि बजाय यह सोचना ज्यादा  बेहतर होगा !!   


6 comments:

  1. बहुत 'ठीक' कहा आपने!

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  2. gone through.keep it up the same way.

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  3. बिलकुल ठीक से आपने अभिव्यक्त की अपनी बात|
    ....पर ठीक से रहना इतना जरूरी भी नहीं|
    आखिर दुनिया में अधिकाँश परिवर्तन ठीक रहने के मानसिक दायरे से बाहर वाले व्यक्तियों द्वारा ही जो किये गए हैं|

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  4. mere mutabik to jab hum ksi ko kahete hai ki thik se rahena tam hum chahte he ki samne wala hamare kahe par chale... RIGHT SIR.?

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  5. Lagta hai ye kehkar aapne bhi theek keh hi diya !

    Waise gaur karne wali baat ye bhi hai ki itne theek wale jumlon ka instruction sunne ke baad bhi log apne hisaab se hi theek karte hain... auron ke hisaab se nahin !

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