Thursday, February 3, 2011

चन्द्र भूषण या 'चांटा' भूषण ?

बच्चों की दुनिया में शिक्षकों के कई-कई नाम होते हैं. ये नामकरण बच्चे बहुत ही सोच समझ कर करते हैं. मजे की बात है कि वे इस तरह के सम्बोधनों का सालों-साल तक इस्तेमाल करते रहते हैं और हमे पता भी नहीं चलने देते ? 

ऐसा भी नहीं है कि वे इस तरह के फैसले बहुत  जल्दबाजी में करते हैं. जी नहीं, इसके लिए बाकायदा उनकी बहस होती है. दो चार नामों पर विचार किया जाता है तब जाकर कहीं एक नाम फाईनल होता है. 

अब अपने  ''सी.बी". साहब को  ही ले लीजिये. स्कूल में आये तो बच्चों में बड़ा उत्साह था. उनके लिए स्कूल में पहली बार कोई म्यूजिक टीचर आया था. बच्चों को लगने लगा था कि अब वे भी सालाना टूर्नामेंट में संगीत की प्रतियोगिताओं में भाग  लेंगे और जीतेंगे भी. 

पर हफ्ता भी नहीं बीता कि बच्चों के बीच खुसुर-पुसुर शुरू हो गयी. यार कितनी जोर से कान खीचतें हैं. बिलकुल लाल कर देते हैं .  अब कल ही देखो  'मन्टू' को कितने जोर का चांटा मारा. उसके तो दोनों गाल लाल हो गये थे. कितने निर्दयी हैं यार, इनके अंदर बिलकुल भी दया नहीं है. क्या बच्चों के साथ ऐसा कोई करता है ? 

सच बात है यार !  वास्तव में वो "सी.बी." सर 'चंद्रभूषण' नहीं "चांटाभूषण"  सर हैं   !!
          
  

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