राजेश कुमार उत्तर - प्रदेश के एक स्कूल में शिक्षा मित्र हयन. नया नया प्रयोग करे में दिलचस्पी रखेलें. एक दिन मिलालें त काफी चिंता में रहें. पूछे से बताएं की - "उनका क्लास में सब बच्चन के ककहरा याद बा. एक साँस में सब सुना भी सकेलें. पर एक बड़ी मुश्किल इ बा की पूरे क्लास में ५५ बच्चन में से खाली ७ गो ही वाक्य पढ़ी पावेलेन बाकी सब अटक - अटक के ककहरा जइसन दोहरावेलें".
अब ये मुश्किल से छुटकारा पावे क भैया राजेश के कौनो रह नाही सूझेला ?
सबसे पाहिले इ सोचे के पड़ी की इ मुश्किल आईल काहे ?
जब हम पहली बार बच्चन के सामने कौनो प्रकार क भी लिपि या संकेत रखीला जेकर की अर्थ के इकाई से कौनो जुडाव नाही होखेला तब त इ मुश्किल आयी ही.
अब राजेश भाई के लागेला पाहिले वाली ही किताब ठीक रहेल. जुना में पाहिले ककहर त न रेट के रहेल. बच्च लोग कम से कम समझ के त सीखत रहेन.
आप भी सोची अ हमनी के लिखीं की वर्णमाला सिखावे क सही तरीका क होखे के चाही ?
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