Monday, January 24, 2011

सोसाईटी और स्लम्स !

सरकारी स्कूलों में अक्सर सुनने  को मिलता है कि -
  • क्या करें हमें तो वो बच्चे ही मिलते हैं जो और किसी स्कूल में नहीं जा पाते ?
  • सोसाईटी का एक भी बच्चा हमारे स्कूल में नहीं आता, ये सभी तो स्लम्स के बच्चे हैं ? 
  • इन बच्चो के माता-पिता इनकी पढाई-लिखाई पर ध्यान ही नहीं देते ? 
  • ये घर  पर कुछ करते ही नहीं, दिनभर इधर-उधर घूमा करते हैं ? 
  • इनके गार्जियन समझते हैं कि स्कूल में जाने से अच्छा है कि कुछ पैसे कमाए ?
  • अपना होमवर्क भी पूरा करके नहीं लाते ?
इतने आग्रह हमारे मन में हैं तो हम उन बच्चो के साथ  कैसा  व्यवहार  करेंगे  ? 
और अगर ये सच्चाई  है तो हमें कैसा व्यवहार करना चाहिए ? 

मन के आग्रह हमारे काम और रवैया पर गहराई से असर डालते हैं. हम जाने अनजाने उनको या उनके बारे में कुछ ऐसा कह देते हैं जो उनके सीखने की राह में बाधा बन जाता है. कई बार हम इसे नीयति मन लेते हैं और प्रयास  करना भी छोड़  देते हैं. 

हम सोचने  की दिशा बदलनी होगी . -
  • हमारे बच्चे क्या जानते हैं जो करना हमारे लिए मुश्किल है ?
  • उनके गार्जियन  क्या जानते हैं जो हम नहीं जानते ?
  • क्या हम उनसे कुछ सीख भी सकते हैं ?
  • हम उनके बारे में क्या सोचते हैं और वे हमारे  बारे में ?
"किसी को बार-बार लघुता का दर्पण दिखाकर बड़ा नही बनाया जा सकता'' फिर ऐसा होता क्यों है ?

हम उन्हें सोसाईटी का मानते है की नहीं यह मुद्दा इतना गंभीर नहीं है क्योकि ऐसा कहने वालो की संख्या है ही कितनी ?

पर खतरनाक बात यह है की देश की  बहुतायत  आबादी हमे अपनी सोसाईटी का कब मानेगी ?
    

3 comments:

  1. Kuchh aisi hi soch adhikari aur trainers bhi shikshakon ke baare mein rakhte hain -
    - in shikshakon mein ichha hi nahin to koi kya kare?
    - in mein gyan ki kami hai aur koi inhein sikha hi nahin sakta...

    Aur yehi baat shikshak aagey bachchon ke saath karte hain!

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  2. utna hi nahi socity jin logo ko 'apna' nahi manti ve log bhi apne bare me vaisa hi sochte he khud ko society ke kabil hi nahi mante.shiksha ke bhi nahi! kai bar hme aesa sunne ko milta he ki "hame kaha padh likh kar bada sahab banna he"
    bas yahi he socity..
    some suffering 4m infrty complex..
    some '' '' supirty complex..
    very few enjoying equity complex..

    in dis case vot vl we do to save our children from dis complicated complexes?

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  3. सच का आइना @सुबीर जी ने दिखा ही दिया है ......!

    वैसे हम एक धरातल में खडा ही कितनों को करना चाहते हैं ?

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